आजकल अधिकतर कारों में सुरक्षा के लिहाज से एक बेहद अहम तकनीक देखने को मिलती है, जिसे ADAS (Advanced Driver Assistance System) कहा जाता है। यह तकनीक वाहन को अधिक स्मार्ट, सक्षम और सुरक्षित बनाती है। यदि आपकी कार 10 साल से कम पुरानी है, तो संभव है कि उसमें ADAS के कुछ फीचर्स पहले से मौजूद हों।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ADAS क्या है, यह कैसे काम करता है, इसके फीचर्स, फायदे, सीमाएं और भारत में इसका भविष्य क्या है।
ADAS का फुल फॉर्म क्या है?

ADAS का फुल फॉर्म है – Advanced Driver Assistance System। यह तकनीक ड्राइवर की सहायता के लिए डिज़ाइन की गई है ताकि सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और सुरक्षित ड्राइविंग को सुनिश्चित किया जा सके।
ADAS कैसे काम करता है? (How Does ADAS Work?)
ADAS में कई छोटे-छोटे कंपोनेंट्स जैसे कि सेंसर, कैमरे, प्रोसेसर और इंटरफेस शामिल होते हैं। ये सभी एक साथ काम करते हैं ताकि वाहन के आसपास के वातावरण का विश्लेषण किया जा सके और ड्राइवर को वास्तविक समय में जरूरी सूचनाएं दी जा सकें।
मुख्य कंपोनेंट्स:
- RADAR (रेडार): लंबी दूरी पर वस्तुओं का पता लगाने के लिए।
- LiDAR: लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग तकनीक, जो सटीक नक्शा बनाती है।
- कैमरे: 360-डिग्री व्यू के लिए।
- सेंसर: गति, दूरी, और बाधाओं का पता लगाने के लिए।
इन उपकरणों से मिले डेटा को कार का ऑनबोर्ड कंप्यूटर प्रोसेस करता है और ड्राइवर को चेतावनी देता है या जरूरत पड़ने पर खुद से ब्रेकिंग या स्टीयरिंग को नियंत्रित करता है।
ADAS के प्रमुख फीचर्स (Key Features of ADAS)

ADAS में कई प्रकार के फीचर्स होते हैं, जो ड्राइविंग को आसान और सुरक्षित बनाते हैं।
फीचर | अर्थ |
कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम | संभावित टक्कर का पता लगाता है और टक्कर से बचने में मदद करता है। |
ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEB) | आपात स्थिति में अपने आप ब्रेक लगाता है। |
ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन | ड्राइवर को उन वाहनों के बारे में चेतावनी देता है जो सीधे दिखाई नहीं देते। |
लेन डिपार्चर वार्निंग | वाहन के लेन से बाहर जाने पर अलर्ट देता है। |
एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल | आगे चल रहे वाहन के अनुसार गति को समायोजित करता है। |
ड्राइवर ड्रोसिनेस डिटेक्शन | ड्राइवर के थकान या नींद के लक्षणों का पता लगाता है। |
ट्रैफिक साइन रिकग्निशन | सड़क के संकेतों को पहचानता है और ड्राइवर को सूचित करता है। |
पार्किंग असिस्ट | वाहन को पार्क करने में सहायता करता है, कुछ मामलों में पूरी तरह से ऑटोमैटिक। |
ADAS के स्तर (Levels of ADAS Automation)
SAE (Society of Automotive Engineers) के अनुसार, ADAS को 6 स्तरों में बांटा गया है:
स्तर (Level) | मानव की भूमिका | उदाहरण |
Level 0 | ड्राइवर पूरी तरह जिम्मेदार | ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग |
Level 1 | ड्राइवर को निगरानी रखनी होगी | लेन असिस्ट, एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल |
Level 2 | निगरानी जरूरी, पर आंशिक ऑटोमेशन | रिमोट पार्क असिस्ट, इमरजेंसी असिस्ट |
Level 3 | कुछ स्थितियों में हस्तक्षेप जरूरी | ट्रैफिक जाम असिस्ट |
Level 4 | विशेष परिस्थितियों में ऑटोमेशन | सेल्फ-ड्राइविंग टैक्सी, पार्किंग गैरेज असिस्ट |
Level 5 | पूरी तरह ऑटोमेटिक | 100% ऑटोमेटिक सेल्फ-ड्राइविंग कार |
भारत में फिलहाल Level 2 तक के ADAS फीचर्स वाली कारें ही उपलब्ध हैं।
ADAS के फायदे (Advantages of ADAS)

- सड़क सुरक्षा में सुधार: संभावित दुर्घटनाओं का समय रहते पता लगाना।
- ड्राइवर की सुविधा: थकान को कम करना और लंबी दूरी की ड्राइविंग को आसान बनाना।
- ईंधन की बचत: एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल से बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी।
- स्मार्ट पार्किंग: ऑटोमैटिक पार्किंग असिस्ट सिस्टम के जरिए आसान पार्किंग।
- सड़क पर अनुशासन: ट्रैफिक साइन रिकग्निशन जैसी सुविधाएं ड्राइवर को नियमों का पालन करने में मदद करती हैं।
ADAS की सीमाएं (Limitations of ADAS in India)

हालांकि ADAS एक उन्नत तकनीक है, लेकिन भारतीय सड़कों पर इसके सामने कई चुनौतियां हैं:
- अधूरी सड़क मार्किंग: लेन असिस्ट फीचर के लिए स्पष्ट लेन मार्किंग जरूरी होती है, जो भारत में अक्सर गायब रहती है।
- बेखौफ पशु और पैदल यात्री: सड़क पर अचानक से आ जाने वाले जानवर या लोग ADAS के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं।
- खराब मौसम: बारिश, धुंध या कम रोशनी के कारण सेंसर ठीक से काम नहीं कर पाते।
- प्रोसेसर की सीमाएं: डेटा प्रोसेसिंग में गलती होने पर गलत निर्णय लिए जा सकते हैं।
- उत्तरदायित्व का सवाल: यदि ADAS के कारण दुर्घटना होती है तो जिम्मेदारी किसकी होगी – ड्राइवर या तकनीक की?
ADAS का भविष्य भारत में (Way Forward for ADAS in India)

ADAS को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए भारत को कुछ प्रमुख बदलावों की जरूरत है:
- बेहतर सड़क बुनियादी ढांचा: सड़क चिह्नों और लेन मार्किंग को बेहतर बनाना।
- तकनीकी सुधार: ऐसे सेंसर और एल्गोरिदम विकसित करना जो भारतीय सड़कों की विविधता को संभाल सकें।
- नीति और नियम: ADAS से संबंधित कानूनों और उत्तरदायित्व को स्पष्ट करना।
ADAS से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs about ADAS)
Q1: ADAS का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर: ADAS का फुल फॉर्म है Advanced Driver Assistance System।
Q2: भारत में ADAS से लैस कौन-कौन सी कारें उपलब्ध हैं?
उत्तर: भारत में ADAS से लैस कारें हैं:
- Kia Sonet
- Tata Nexon
- Hyundai Creta
- Mahindra XUV700
- MG Hector आदि।
Q3: क्या ADAS दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोक सकता है?
उत्तर: नहीं, ADAS दुर्घटनाओं की संभावना को कम जरूर कर सकता है, लेकिन पूरी तरह रोक नहीं सकता। ड्राइवर की सतर्कता अब भी महत्वपूर्ण है।
Q4: ADAS में LiDAR का क्या उपयोग है?
उत्तर: LiDAR (Light Detection and Ranging) तकनीक का उपयोग वाहन के आसपास की सटीक मैपिंग और बाधाओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
Q5: भारत में ADAS तकनीक का भविष्य कैसा है?
उत्तर: जैसे-जैसे भारत में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और बुनियादी ढांचा बेहतर होगा, ADAS तकनीक का भविष्य उज्जवल रहेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
ADAS तकनीक न केवल वाहन को सुरक्षित बनाती है बल्कि ड्राइविंग अनुभव को भी बेहतर करती है। हालांकि भारतीय सड़कों पर इसकी चुनौतियां हैं, लेकिन भविष्य में इसके विकास की अपार संभावनाएं हैं। सड़क सुरक्षा के लिए ADAS का उपयोग करना एक स्मार्ट विकल्प है!